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दिग्विजय सिंह और शिंदे की नज़र में आतंकवादी – सम्मानजनक शब्दों के लायक हैं ..
कांग्रेस के बयानों का स्वागत किया जाता है उस आतंक वादी जिसका नाम हाफ़िज़ सईद है (अमेरिका की सरकार ने ईनामी आतंकी घोषित किया है इस व्यक्ति को ..10 Million Dollar का ईनामी आतंकी हाफ़िज़ सईद भारत को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहा है … और वह उद्धृत कर रहा है गृह मंत्री शिंदे के बयान को ..
हद है !)
देश में समाजसेवा का कार्य करने वाले स्वयंसेवकों के संघटन -राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आतंकवादी संघटन नज़र आता है ..
ऊपर से जब मीडिया के द्वारा सवाल उठाया कि क्यों कांग्रेस ऐसे आदर सूचक शब्द प्रयोग कर रही है जो आतंकवादियों के हौसले बढ़ा रही है उस पार से ..
कुछ पत्रकार तर्क दिए रहे हैं कि “”साध्वी भी तो ….””, “”स्वामी भी तो ….”””, “”भगवा रंग भी तो ….”” बड़ी अजीब बात है !
और कोढ़ में खाज …आतंकवाद का धर्म नहीं होता , जो लोग धर्म को नहीं जानते , धर्म के मर्म को नहीं जानते ..वही सबसे अधिक “धर्म -धर्म ” बोल कर मटियामेट किये दे रहे हैं.
धर्म और रिलिजन में अंतर न मीडिया वाले जान रहे हैं और न नेता . जो जानते हैं वो बोलेंगे तो फिर नया बखेड़ा खडा होगा.
आतंकवाद – आक्रमण
जब देश पर आक्रमण को आतंकी घटना बता कर जांच एजेंसी को सौंप दिया जाएगा तो ऐसे भ्रम पैदा होगा .
फिर जब कोई यह बोले कि इण्डिया और भारत में अंतर है तो बवाल होना स्वाभाविक है. ये वही जमात है जो धर्म और रेलिजन के अंतर को नहीं जानती है.
धर्म जोड़ता है …रिलिजन अलग करता है …तो धर्म और आतंकवाद शब्द को एक साथ ला रहे हैं वे सरासर मूर्ख हैं.
और इस मूर्खता में मीडिया और नेता सबसे आगे हैं.
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