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वन्दे मातरम् !

उद्गार
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“”इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने 1947 में हिन्दुस्तानी आजादी का बिल ब्रिटिश पार्लियामेंट में रखा। उस पर वहां जमकर बहस हुई। तब दूसरे विश्व युद्ध के वक्त इंग्लैंड के प्रधानमंत्री रहे सर विंस्टन चर्चिल ने गुस्से में कहा था, ‘गुंडे, मवालियों और मुफ्तखोरों के हाथों में सत्ता चली जाएगी। तमाम हिन्दुस्तानी नेता छोटे कद के होंगे और तिनके जैसा वज

न होगा। उनकी जुबान मीठी, लेकिन दिल मूर्खों जैसा होगा। ये लोग सत्ता के लिए आपस में लड़ते रहेंगे। और हिन्दुस्तान इस लड़ाई में खत्म हो जाएगा। एक बोतल पानी और ब्रेड का टुकड़ा भी टैक्स से नहीं बच पाएगा। और इन लाखों भूखे लोगों का खून एटली के मत्थे मढ़ा जाएगा।’
(खुशवंत सिंह की कलम से -)
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… जहां तक एटली के नेताओं के प्रति विचार था , वह काफी हद तक सही है (गलत तो दीखता नहीं …), लेकिन भारत देश के लिए उस की भावना को सही नहीं मानता …

उस एटली ने भारत को जाना ही कहाँ ..यह वह धरती है जो बेदर्दी से लूट लिए जाने के बाद भी आज १२० करोड़ से अधिक लोगों को पाल रही है …

सारा विश्व …इतनी कम जगह में इतनी बड़ी जनसंख्या को पाल कर देख ले ..गले गले आफत ना खड़ी हो जाए तो कहना..

पर यह भारत माता ही है जो अपने निक्कमे बच्चों (आज कल के नेता ) सहित देश को आगे ले जा रही है ..

वन्दे मातरम..!!

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